न प्यारा कोई रिश्ता
और न ही नाता कोई
हैं सभी पास मेरे
पर दिल को न भाता कोई
तुम साँसों में मेरे
बसे हो इस कदर
बिना तेरे कभी न
हो मेरी सहर
फिजा में घुले हैं
हमारे उल्फत के दास्ताँ कई
फ़िर कैसे कह दूँ मैं
की मेरा तुमसे कोई वास्ता नही ?
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1 comment:
chalo ek baat batao sabhi poems mein kya common hai..dard aansu..tanhai aur adure sapne..,mann ko suna kar diya hai tumne ye kavita likh kar..very touching yaar
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