प्रेरणा तुम हो
मेरी हर कविता के
तुम्हे ही सोचती हूँ मैं
हर पल हर घड़ी
तुम्हे ही लिखती हूँ मैं
अपने हर अक्षर में
हर शब्द में
और उन शब्दों की माला
बना तुम्हे
अर्पण करती हूँ
अपनी हर कविता में ।
झलक मिल जाती है
तुम्हारी,
मेरी हर कविता में
अब और कैसे कहूं
की सोच मेरी तुमसे हैं?
कवितायेँ सारी तुमसे हैं?
और ज़िंदगी मेरी तुमसे है????
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
nice
Post a Comment